Saturday, 15 October 2016

एक हिन्दुस्तानी का गम

“अब रात को चाँद नहीं दरिंदे जागा करते हैं ,
सहमा - सहमा सा चलना पड़ता है उन्हें
उनके पीछे अब कुत्ते जो भागा करते हैं ।
क्यों दर्द सहना पड़ता है उन्हें ,
और क्यों वो दर्द के हकदार 
हिजड़े भाग जाया करते हैं ।
आँखों में पानी लिए चलना पड़ता है उन्हें,
सहारा देने वाले कोई नहीं होते                                       क्यों उनकी जिंदगी को बहाया करते हैं ।’’
 आज हिन्दुस्तान की धरती पर आंसमा से आँसु टपक रहे हैं , क्यों ?
हिन्दुस्तान पहले भी तो रोया था , आज भी रो रहा है क्यों ?
क्यों दैनिक भास्कर सबसे बड़ी "नकारात्मक खबर" सोमवार के दिन मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित कर रहा हैं ।
आज उस माँ का सवाल यह है -  कि तीन साल पहले तो सब कह रहे थे निर्भया देश की बेटी है ... तो आज वह बेटी नहीं रही क्या ?
उस माँ को यह कहना पड़ रहा है कि वो आज मजबूर होकर सड़क पर हैं ।
वो माँ अपनी बेटी की सुनहरी जिंदगी को ख़त्म करने वाले "गुनहगार" को सजा दिलाने के लिये लड़ रही हैं ।
"क्या कोई है ? जो उनकी मदद कर रहा है ।"
कोई नहीं , ना तो कानून , ना ही कोई अख़बार, ना ही कोई न्यूज़ चैनल  क्यों कि मदद के आड़े हिंदुस्तान का कानून आ रहा है , एक ऐसा कानून जिसने 16 दिसंबर 2012 के काले दिन को 20 दिसंबर 2015 का भी काला दिन बना दिया हैं । हिंदुस्तान जो तीन साल पहले था आज भी वैसा ही है, इसका गुनहगार कौन है ?
और वह गुनहगार जिसकी वजह से एक माँ की आँखों में आँसु और हिंदुस्तान में गम है, वो एक नही हजारों - लाखों है ।       पर बात तो अभी उस एक की ही हो रही है, जिसे कानून द्वारा नाबालिग कहा जा रहा है , इतनी बड़ी दरिंदगी दिखाने वाला नाबालिग कैसे हो सकता है ।
जब 16 साल के दरिंदे को किसी की जिंदगी को ख़त्म करने की समझ होती है , 
तो उसे उसके गुनाह की सजा पाने की समझ भी होगी जिसका वो हक़दार है ।
किसी को पुरुस्कार देने के लिए सविंधान में संशोधन किया जा सकता है , क्यों कि वह उस पुरुस्कार को पाने योग्य होता है ।
तो फिर क्यों उस कानून में संशोधन नहीं किया जा सकता है , क्यों गुनहगार को उसके गुनाह के मुताबिक सजा नहीं मिलती , 
गुनहगार भी तो उस सजा को पाने योग्य है , तो उम्र क्यों उस गुनाह की सजा मिलने में रोंढ़ा बन रही हैं .......¿¿¿¿
ये एक हिंदुस्तानी के मन की बात है,
क्यों कि हिन्दुस्तान में मन की बात जो होती है , पर साथ में  काली रात भी  होती हैं ।
“जिसका चारो दिशाओं में होता था गान ,
जहाँ जन्मे राम, कृष्ण, स्वामी भगत महान।
इस दुनिया का गुलदस्ताँ है मेरा हिन्दुस्तान,
फिर क्यों इस तरह बेकार हो गई यहाँ की शान ।’’
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